पति से पहिली
मुलाकात भी बहुत रोचक रही ।शादी की पहली रात को मेहमान का जमघट लगा रहा ।हमारे
कमरे के बाहर बहुत सी महिलाएं सोई थी । एक बजे रात को लोगों को पार करते ये कमरे
में आये और एक कुर्सी पर बैठ गये हमारी यही पहिली मुलाकात थी ।मैने पहिली बार
उन्हे देखा ।शादी की रस्म के बाद पूरी तरह से एक दूसरे का चेहरा दिख रहा था ।
थोड़ी देर बैठने
के बाद मेरा साक्षात्कार शुरु हो गया ।पहिली से एम एससी तक कहां पढ़ाई की ।कितने
प्रतिशत नम्बर मिले ।अपने बारे में बताये कि पढ़ाई मे मध्यम रहने के बाद एम एस सी
मे गोल्ड मैडल लिया ।गणित मे एम एस सी किये थे । मुझसे कुछ गणित भी पूछ लिये ।
अब अपने परिवार
की पूरी जानकारी दिये ।सबका नेचर बताये ।उसके बाद बताये कि वे आपने भोपाल गांधी
मेडिकल कालेज मे पढ़ने वाले छोटे भाई का पूरा खर्चा उठाते है ।"वह मेरी
जिम्मेदारी है " बोलकर चले गये ।एक घंटे का साक्षात्कार फिर सन्नाटा ।एक घंटे
के बाद कमरे मे आये ।मेरी नींद लग रही थी ।बस आते ही बोले दोनों हाथ सामने करो
।मुझे लगा अब हाथ की रेखायें देखेंगे वे बहुत ही अच्छे एस्ट्रालाजर थे और हाथ भी
देखते थे ।
पर ऐसा कुछ नहीं
हुआ ।मेरे हाथ में आठ सौ रूपये रख दिये ।मै रुपयों को देख रही थी ,मुझे समझ में
नहीं आया कि क्या हुआ? वे बोले मेरे पास
तुमको देने के लिये कुछ नही है ।मै अपनी पूरी तनख्वाह मां को देता हूँ हमारे यहाँ
ऐसा ही होता है ।वे ही पूरा घर चलाते है। हमें जो भी चाहिये काका लाकर देते है
।वहाँ भी ससुर को काकाजी ही बोलते थे ।
"यह पैसा मै ओवर
टाईम से कमाया हूं ।" बात करने के बाद वे मेरा चेहरा बहुत ध्यान से देखने लगे
।मेरी नजरें नीचे हो गई और वे कमरे से बाहर चले गये ।जाते हुये बोले आराम से सो
जाओ ।मैने कमरे का कुंदा अंदर से बंद किया और मजे से सो गई । सुबह पांच बजे मेरी
जेठानी ने उठाया ।मै सात बजे तक नहा कर तैयार हो गई ।ये सुबह पांच बजे उठ कर योगा
करते थे उसके बाद नहा कुछ खाकर भिलाई जाते थे ।।भिलाई सिविक सेंटर मे ही उनका बैंक
था "बैंक आफ इंडिया "।वे आठ बजे की रेल से जाते थे ।
अभी तो छुट्टी पर
थे ।सुबह की दिनचर्या वही थी ।मेरी जेठानी ने मुझे खाना बनाने से सना कर दिया ।सब मेहमान
गांव के थे ।जेठानी ने कहा कि मेहमान के जाने के बाद खाना बनाना । मुझे मेरे कमरे
में ही नास्ता लाकर देती थी, उसी समय मेरे पति आते थे और हम लोग साथ मे नास्ता करते थे
।रोज एक पत्रिका लेकर आते थे ।मुझे कुछ न कुछ पढने की आदत थी ।उन्हे पता नहीं था
पर वे ये सोच कर लाते थे कि दिनभर क्या करेगी ? पढ़ते रहेगी ।खाना मै जेठानी के साथ खाती थी ये कब खाते थे
पता नहीं ।रात को पूरा परिवार एक साथ बैठ कर खाता था तब मै परस देती थी ।
रात को आकर देख
कर चले जाते थे ।मेहमानों के बीच खुसुर फुसुर होने लगी कि शादी करना नहीं चाहता था
और तुम लोग शादी कर दिये ।ये साथ में नहीं रहेगा ।एक जून को शादी हुई थी और ग्यारह
जून को मेरा साक्षात्कार था ।सालेम हिंदी स्कूल मे ।मेरा भाई आया था लेने ।उस दिन
मेरे भाई और मेरे साथ पूरे दिन बैठे रहे बात करते रहे ।दस तारीख को मायके आ गई
।ग्यारह को स्कूल गई और इंटरव्यू देकर आ गई ।
मै अब मायके में
ही थी ।उसके बाद सरकारी शिक्षक के लिये इंटरव्यू था ।मै दशहरे के दिन अपने ससुराल
आई ।ये स्वयं लेने गये थे ।इस बीच मायके मे दो बार मिलने भी गये थे।मै बहुत खुश थी
कि शादी के बाद भी मायके मे रहने को मिल रहा है ।पर मै शादी के मायने समझने की
कोशिश करती रही ।इसका मतलब समझ नहीं पाई दो बार आने का मतलब प्यार तो था पर कैसा ? इसे भी समझने की
कोशिश कर रही थी ।
जेठानी की
समझदारी , सास का कुछ न
कहना भी समझदारी थी कि ये गांव के मेहमान जायें तब बहु खाना बनायेगी और तब बेटा
कमरे मे जायेगा।पति का स़यंम भी मायने रखता है ।पूरा घर तो चाची मय हो गया था
।मेरे मायके आने पर कोई मिलने नहीं आया था ।पर मेरे आने के बाद सब की शिकायत थी कि
इतने दिन क्यों रही ? आस पड़ोस ,रिस्तेदार , घर मे जेठानी के
बच्चे सब मेरे आस पास रहने की कोशिश करते ।
दशहरे के दिन रात
को गये थे तो सब सो रहे थे ।सुबह से एक रौनक थी ।मेरी सारी शिकायते खतम हो गई
थी।पर मेरी जेठानी मुझे परस कर ही खिलाती थी ।दोनों समय ।एक ऐसा प्यार मिल रहा था
कि मायके से ज्यादा अपनापन लग रहा था ।यह 1979 जून की है ।
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