अपने ससुराल मे
मै पहले दिन भी खाना नहीं बनाई पर खाना बनाने में मदद की ।पूरे दिन जेठ के दोनों
बच्चे मुझे कुछ कुछ दिखाते रहे ।शायद वे लोग बहुत दिनों से दिखाने के लिये रखे थे
कपड़े खिलौने और डबलरोटी भी ।आठ बजे मेरे पति चले गये तो मै नहा कर चौके मे दूबारा
आई । मेरी जेठानी चाय बना रही थी ।मुझे भी चाय दी फिर मै सब्जी काटने लगी । उसने
छौक लगाई और बनाने लगी पर मुझे उसने बनाने के लिये नहीं कहा ।चांवल धोकर मुझे
चढ़ाने बोली तो मै वह कर दी ।रोटियां बेल दी ।
सास ससुर साढ़े नौ
बजे खाने बैठे तो मैने खाना परोस दिया । ससुर के आफिस जाने के बाद सास पेपर पढ़ने
बैठ गई ।मै , मेरी जेठानी और
मेरी ननंद तीनो एक साथ बारह बजे खाने बैठ गये ।मुझे मेरी जेठानी ने ही खाना निकाल
कर दिया ।तीनो खा कर उठे उसके बाद सब अपने अपने कमरे मे आराम करने चले गये ।हमारी
सास भी सोने चली ग्ई ।मै तो अपने कमरे मे आराम से पत्रिका पढ़ रही थी।
ठीक डेढ़ बजे चौके
से बर्तन की आवाज आ रही थी ।मै तुरंत नीचे गई और देखी तो सास चाय बना रही थी ।मैने
कहा मै बनाती हूँ तो वह सरक कर बैठ गई ।पानी मे शक्कर और चायपत्ती डला हुआ था
।मुझे सिर्फ खौलाकर छानना था ।मैने अच्छे से खौलाकर छान रही थी तभी मेरे ससुर भी आ
गये ।दोनों को चाय दी ।एक कप चाय जेठ के बेटे गुड्डु को दी ।वह चाय मे डुबा कर
बिस्कुट खाया और बाकी चाय छोड़ दिया ।एक कप चाय बची थी ।मैने सासदीदी से कहा कि यह
चाय बची है ।।वह बोली तुम्हारे लिये है ।मै भी साथ मे चाय पी ली ।इधर उधर बच्चों
के साथ बात करती रही ।जेठानी भी उठ कर आ गई सब बातें करते रहे फिर शाम की चाय का
समय हो गया । जेठानी ने ही भूसे की सिगड़ी भरी और जला कर चाय बनाई मै पास मे ही
बैठी रही ।
मैने पूछा सब्जी
काट दूं ? तो हाँ बोली
।मैने सब्जी काट कर धोकर रख दी ।वे चाय पीती रहींं ।मैने आटा गुंदने के लिये पूछा
तो बोली मै कर लेती हूँ ।वे स्वयं सब्जी बनाई ।रोटी भी बेल कर सेक रही थी और मै
परसने का काम की ।आटा गुंदते तक चांवल भी बन गया था ।सब सात बजे खाना खा लेते थे
।सासससुर और बच्चे साढ़े सात तक सो जाते थे ।उसके बाद आठ बजे हम लोग खाते थे ।साढ़े
आठ को मेरी ननंद अकेले खाती थी ।मेरे पति भी स्त बजे आ जाते थे ।
रात को नौ दस के
आस पास मेरे जेठ आते थे तब वे अपने कमरे मे ही खाना खाते थे ।हम लोग अपने कमरे मे
।रात को मेरे पति ने मुझे बहुत से गीत सुनाये तब पता चला कि वे बहुत अच्छा गाते थे
।वे मोहम्मद रफी के फैन थे और उन्हीं के गाने गाते थे ।गीत सुनते हुये मै कब सो गई
पता ही नहीं चला ।सुबह उठी तो वे कमरे मे नहीं थे ।
सुबह चार बजे उठ
कर योगा करते थे ।उसके बाद नहा कर चाय पीते थे ।छै बजे पेपर आता था उसे पढ़ते थे
।आठ बजे दाल भात खा कर बैंक के लिये निकल जाते थे ।सायकिल से रेलवेस्टेशन तक उसके
बाद रेल से भिलाई नगर तक ।वहाँ से कभी पैदल कभी आटो से सिविक सेंटर बैंक आफ इंडिया
तक ।
पहला दिन मेरा
ऐसा गुजरा कि पता ही नहीं चला कि ससुराल में हूँ ।
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