देश हमेंशा से लड़ाई झगड़े को झेलता रहा है ।पार्टिगत झगड़े हों या फिर साम्प्रदायिक झगड़े हो ।देश आजाद हुआ तो गाँधी जी को गोली मार दी गई ।देश शोक मे डुबा रहा पर लोगों ने अपना गुस्सा देश की सम्पत्ति को नष्ट करके निकाला ।ऐसी ही बहुत घटनाएं होती रही हैं।मुझे तो इंदिरा गांधी की हत्या याद आ रही है ।
उस समय हमारा मकान बन रहा था ।मै अपने मायके मे थी।इंदिरा गांधी को मेरी मां अपनी बहन ही कहती थी ।उसकी हत्या की खबर आते ही तहलका मच गया ।सब लोग समाचार गलत है या सही यही सोच रहे थे ।तब दोपहर को दूरदर्शन पर समाचार नही आते थे ।यहाँ सिर्फ डी डी ही आता था .मेट्रो बाद मे आया शायद ।
जैसे खबर रेडियो में आई कि उसके अंग रक्षक एक पंजाबी ने उसकी हत्या कर दी है तो चारो ओर समाचार बताने और रेडियो पर सुनने के लिये लोग भागने लगे ।दिल्ली मे दंगा शुरु हो गया सुनते ही रायपुर मे भी दंगा शुरु हो गया ।रायपुर का आमापारा तब टेम्पो स्टेंड था ।वहाँ पर टेम्पो जलाया गया ।सब्जी लूट ली गई ।रायपुर में दंगे दो जगह से शुरू होते थे ।ब्राम्हण पारा और बैजनाथ पारा ।
पूरे रायपुर में अब पंजाबी को खोज खोज कर मारना पिटना और उनकी दुकानों को जलाने का काम शुरू हो गया ।विद्यार्थी के साथ साथ असामाजिक तत्व भी इस काम को करने लगे । यह दंगा इतनी तेजी से फैला कि लोग अपनी दुकान भी बंद नही कर पाये ।विवेकानंद आश्रम के बाहर पंजाब क्लाथ स्टोर था उसे लूट कर कपड़े हमारे मोहल्ले के घरो मे रखा गया "बाद मे बांटेंगे "कहते थे ।
ब्राम्हण पारा मे पंजाब सायकिल स्टोर थी ।वह रायपुर की सबसे बड़ी दुकान थी ।यहां की सायकिलें भी पूरी उठा कर ले गये ।सामान किसी एक घर में रख रहे थे।जिनके घर में बड़ा आँगन था वहाँ लाकर रखते जाते थे ।ये मोहल्ले के लड़के थे ।कालेज के लड़कों ने तो सायकिल को महादेव घाट ले जाकर खारून नदी में डुबा दिया।पंजाब टेलर जो बहुत ही प्रसिद्ध है उनके यहां ऊलन कोट पेंट की सिलाई होती थी वहाँ से दूसरों के कपड़ो को लूट लिया गया ।लोगों ने यह भी नहीं सोचा कि यह तो जनता का है ।
एक कपड़े की दुकान से रेडिमेट कपड़ो का बंडल ठेले मे भर कर लाये थे ।एक बनारसी साड़ी की दुकान लुटी गई ।उस साड़ियो का तो तुरंत बटवारा होने लगा था ।काम वाली बाईयां वह साड़ी पहन भी ली थीं ।पंजाब सायकिल स्टोर मे आग लगा दी गई ।उसका उठता हुआ धुंआ सांइस कालेज से दिखाई दे रहा था ।पूरे टायर ट्यूब जला दिये गये थे ।आकाश काला हो गया था ।।एक अजीब सी गंध हवा मे घुल गई थी ।सांस लेने मे तकलिफ हो रही थी ।हम लोग घर मे कंडे जलाकर हवन सामाग्री डाल कर गंध को भगाने की कोशिश कर रहे थे ।पर ऐसा हो नही सकता था ।सारी हड़कम के बाद पुलिस नियंत्रण कर पाई थी ।रात
को सब समाचार सुनने मे लगे रहे ।जगह जगह के चित्र दिखाये जा रहे थे ।कहीं हत्या तो कहीं पर आग लगी थी ।दुकानो को लूट कर भागते लोग तो पंजाबी को मारते लोग ।बहुतों की जान गई।कुछ अपंग हो गये थे ।कुछ पंजाबी सिख लोगों ने अपने बाल कटवा लिये थे । यह सिलसिला चलता रहा ।
रायपुर मे रातभर हलचल रही पर दंगा नही हुआ ।दूसरे दिन तो बहुत दर्दनाक दृश्य था ।पंजाबी तो घरों मे घुसे रहे ।पर उनकी दुकाने रोती रही ।किसी एक के कारण पूरा देश रोता रहा ओर तबाह हो गया ।इस दंगे मे पंजाबी ही वही और भी बहूत से लोग तबाह हो गये ।कहते हैं न आग के रास्ते से जो भी आता है जल जाता है और पानी के रास्ते में जो भी आता है वह बह जाता है ।केदारनाथ की तबाही से हम उस दंगे के आग की तबाही का अंदाज लगा सकते है ।क्या हिंदू ,क्या मुसलमान ,क्या पंजाबी सभी इस आग में झूलस गये ।
दूसरे दिन तो सिर्फ जगहों को देखा गया कि कहाँ क्या हुआ है ।तीसरे दिन तलाशी हुई और सामान बरामद किये गये ।खारुन नदी के महादेव घाट के तट से सैंकड़ो सायकिल और उसके पार्ट निकाले गये ।सबसे ज्यादा सामान ईदगाहभाठा मे ही था।यहां पर सभी घरों की तलाशी शुरु हुई ।पहले दिन लोगों ने रेडिमेट कपड़े और साड़ियां बेच भी रहे थे ।कुछ बनारसी साड़ियों पर मिट्टी लगाकर पुरानेपन का आभास लाने की कोशिश भी किये ।कपड़ो को कम ही वापस ले गये थे मतलब कम जब्त किये ।
पंजाबियों ने कह दिया जो सामान जिसके पास है वह रख ले हमें नही चाहिये।जूते भी थे ।उसे तो लोग बेच रहे थे ।इतना नुकसान हुआ और सब लोग चुप देखते रहे ।देश का विभाजन हुआ ।उसकी तो मै फिल्मे ही देखी हूँ ।जब हम लोग स्कूल में थे तब फ्री मे 15अगस्त के पहले और 2अक्टूबर को स्कूल से ही फिल्म दिखाने ले जाते थे ।तब बटवारे के समय के दृश्य को देखकर रोंगटें खड़े हो जाते थे ।बालमन उसको सह नहीं पाता था और आँसू आ जाते थे ।आये दिन कर्फ्यू और मारधाड़ के साथ लूटपाट मैने बहुत देखा था अपने विद्यार्थी जीवन में ।पर ऐसी लूटपाट पहिली बार देखी थी ।
इंदिरा गांधी की हत्या और लूटपाट तो ऐसा था जैसे देश के बटवारे का दृश्य हो ।पूरा शहर उजड़ा हुआ लग रहा था ।सारे पंजाबी सहमे से थे ।मेरा एक राखी बंध भाई भी था शूगदेव ।उसकी माँ को हम लोग मौसी बोलते थे ।हमारे घर के पास ही रहती थी ।वह ऐसी सहमी थी कि घर से नही निकली ।पानी के बिना तो जीवन चलता नहीं ।सुबह वह सार्वजनिक नल पर पानी भरने आई तो चुप थी ।लोग पंजाबियों को गाली दे रहे थे ।वह चुपचाप पानी भर कर चली गई ।शाम को मेरी माँ अपने बैठक के दरवाजे पर बैठी थी तो वह आई ।माँ ने उसे अपने पास बिठाया ।वह ऐसे ही रोज बैठा करती थी ।वह रोने लगी और बोली दीदी इंदिरा गांधी को जिस पंजाबी ने मारा उसे जाकर मारना चाहिये ।सारे पंजाबी के साथ ऐसा क्यो कर रहे है ।हम लोग क्या किये है जो हमसे कोई बात नही कर रहा है ?
यह दुख वह मेरी माँ से शायद इस कारण बांट रही थी कि वह बहन मानती थी ।मेरी माँ इंदिरा गांधी को बहन कहती थी ।पूरे मोहल्ले में सबसे ज्यादा पढ़ लिखा परिवार था ।माँ ने कहा ,सब मूरख हैं तुम सही बात बोल रही हो जिसने मारा उसे उसी समय गोली से उड़ा देते ।वह अंगरक्षक था ।उसकी जाति नही होती है।देश का नुकसान क्यों करते है ।अब इस नुकसान को टेक्स लेकर सरकार पूरा करेगी ।मंहगाई बढ़ेगी ।
इतनी प्यारी बातों के साथ शाम की शुरुआत हुई थी ।हमारे दरवाजे पर चर्चा होने लगी ।अब मेरी माँ आजादी की बात बता रही थी और लोग सुन रहे थे ।कुछ लड़के आये उसे डांटने लगी ।पूरे मोहल्ले का माहोल बदलने लगा । हम सब उठ कर खाना खाने आ गये ।पर रात तो वैसी ही रही ।सुबह कुछ अलग जरुर थी ।सामानों की अफरा तफरी हो रही थी ।कुछ नई सायकिल बंट रही थी ।पर शांति थी। कुछ दिनों के बाद उस दुकान के ग्राहक दुकानदार से शोक प्रगट कर रहे थे ।अब माहौल सामान्य हो रहा था।पंजाबी जो अपना बाल कटवा चुके थे अपने दुख से बाहर नही आ पा रहे थे ।वह दंगा और मेरे नये घर मे आना एक ऐसा संयोग रहा कि मै इस घटना को भूल नही पाती ।आखिर इन दंगो से क्या मिलता है ।कानून के बिना लोग फैसला करने लगते है।आज भी देश वहीं खड़ा है लगता है ।दंगो का रुप बदल रहा है ।आतंगवाद ,नक्सलवाद ,जातिवाद,धर्म और अब आरक्षण इसी की आग मे झुलस रहा है।दंगे हो रहे हैं ।यह कब रुकेगा इसका जवाब किसी के पास नही है।
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